नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार शाम अपने आवास पर सिंधु जल संधि को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इस बैठक में जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवेश्री मुखर्जी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
सूत्रों के हवाले से बताया गया है, कि भारत सरकार ने सिंधु जल संधि के निलंबन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए पाकिस्तान को औपचारिक रूप से सूचित किया है। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव द्वारा पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा को भेजे गए पत्र में इस फैसले की जानकारी दी गई है। 
पत्र में भारत सरकार की ओर से साफ़ कहा गया है कि सिंधु जल संधि के कई मूलभूत पहलू वर्तमान परिदृश्य में अप्रासंगिक हो गए हैं और इन पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। इसमें जनसंख्या में भारी बदलाव, स्वच्छ ऊर्जा की मांग और जल वितरण से संबंधित नए संदर्भों का हवाला दिया गया है। 
भारत का तर्क है कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय संधि आपसी विश्वास और सद्भाव के आधार पर चलनी चाहिए, जबकि पाकिस्तान लगातार सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में। 
गौरतलब है कि सिंधु जल संधि वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। इसके तहत भारत तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का पूर्ण उपयोग करता है, जबकि तीन पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) पाकिस्तान को दी गई हैं। संधि अब तक तमाम संघर्षों के बावजूद प्रभावी रही हैं, जिसे विश्व की सबसे सफल जल संधियों में गिना जाता है। 
यदि भारत इस संधि को स्थगित करता है या उसमें संशोधन करता है, तो यह भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों पर बड़ा असर डाल सकता है। आज की बैठक से इस दिशा में किसी बड़े निर्णय की उम्मीद की जा रही है।