सावन के पावन अवसर पर करें आध्यात्मिक यात्रा, जानिए भारत के 5 प्रमुख आश्रमों के बारे में
श्रावण मास यानी सावन, भगवान शिव की आराधना और आत्मिक शुद्धि का महीना माना जाता है। इस महीने में केवल व्रत-पूजा ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा और ध्यान साधना का विशेष महत्व है। ऐसे में अगर आप शोर-शराबे से दूर कुछ शांत, शक्तिशाली और सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थानों की तलाश में हैं, तो भारत के कुछ प्रसिद्ध आश्रम आपकी आत्मा को संपूर्ण विश्राम दे सकते हैं।
इस लेख में आपको भारत के 5 ऐसे आध्यात्मिक आश्रमों के बारे में बताया जा रहा है, जहां आप ना केवल ध्यान और योग का अभ्यास कर सकते हैं, बल्कि अपने भीतर के "मैं" से भी जुड़ सकते हैं। सावन के पावन महीने में इन स्थानों की यात्रा एक जीवन बदलने वाला अनुभव बन सकती है।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश
उत्तराखंड के ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन नाम का आश्रम है। गंगा किनारे स्थित यह आश्रम विश्वविख्यात है। यहां योग, ध्यान और गंगा आरती का दिव्य अनुभव मिलता है। इस आश्रम में सावन माह में शिवभक्तों के लिए विशेष कार्यक्रम और मंत्र साधना का आयोजन होता है।
ईशा योग केंद्र, कोयंबटूर
तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र स्थित है। यह आश्रम सद्गुरु द्वारा स्थापित किया गया है। ईशा योग केंद्र में ध्यान और विज्ञान का समागम है। यहां स्थित 112 फीट ऊंची आदियोगी शिव प्रतिमा बेहद प्रसिद्ध है। सावन के समय विशेष ध्यान सत्र और शिव साधना का आयोजन किया जाता है।
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट, पुणे
महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में भी एक आश्रम है, जिसका नाम ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसाॅर्ट है। अगर आप ध्यान को नए दृष्टिकोण से अनुभव करना चाहते हैं तो यह आश्रम उपयुक्त है। यहां ओशो की डायनामिक मेडिटेशन टेक्निक सिखाई जाती है। सावन में यहां गहन ध्यान रिट्रीट्स आयोजित होते हैं।
रामकृष्ण मिशन आश्रम, बेलूर मठ
पश्चिम बंगाल के बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन आश्रम है। स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित यह आश्रम गंगा नदी के किनारे स्थित है। यहां ध्यान, भजन और सामाजिक सेवा के साथ-साथ आध्यात्मिक अध्ययन भी कराया जाता है। सावन में शिव को समर्पित मंत्रोच्चारण और विशेष पूजा होती है।
श्री अरविंद आश्रम, पुदुचेरी
पुदुचेरी में स्थित इस आश्रम में श्री अरविंद और मां की शिक्षाओं के अनुसार ध्यान और साधना करवाई जाती है। यह आश्रम शांति और चित्त की स्थिरता का प्रतीक है। सावन के दौरान यह स्थान श्रद्धालुओं और साधकों के लिए ऊर्जा का केंद्र बन जाता है।