पिंक साड़ी-सोने का हार पहन एग्जाम हॉल पहुंची MLA मैडम, BSW की परीक्षा देती नजर आईं
खंडवा: जब पढ़ने की जिद हो, तो न उम्र मायने रखती है और न ही ओहदा. आमतौर पर लोग मानते हैं कि एक बार राजनीति में आ गए तो पढ़ाई-लिखाई पीछे छूट जाती है. लेकिन खंडवा विधानसभा सीट से विधायक कंचन तनवे ने इस धारणा को नकारते हुए यह साबित कर दिया है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती और न ही कोई पद इसके आड़े आता है. जनसेवा के साथ शिक्षा को भी समान रूप से महत्व देते हुए उन्होंने एक बार फिर से कलम थामी है. वर्तमान में वे BSW (बैचलर ऑफ सोशल वर्क) के तीसरे वर्ष की परीक्षा में भाग ले रही हैं और जल्द ही स्नातक की डिग्री पूरी करने की दिशा में अग्रसर हैं.
बेटी ने खिलाया दही शक्कर
विधायक कंचन तनवे का 14 जून को जन्मदिन आता है. जन्मदिन मनाने को लेकर एक दिन पहले ही कार्यकर्ताओं ने तैयारी कर ली थी. शहर भर में पोस्टर व बैनर लगा दिए थे. इधर जन्मदिन की खुशियों के बीच विधायक तनवे के दिन की शुरूआत पढ़ाई से हुई. सुबह जल्दी उठकर एक छात्र की तरह परीक्षा की तैयारी की. मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की, इस बीच कार्यकर्ताओं की घर पर भीड़ लगी रही. सुबह से उनकी बधाई स्वीकार कर सुबह 9:30 बजे परीक्षा देने रवाना हो गईं. घर पर बेटी ने अपनी मां को दही शक्कर खिलाकर रवाना किया.
सपनों की उड़ान को नई दिशा
राजनीति में व्यस्तता के बावजूद विधायक तनवे का पढ़ाई के प्रति यह समर्पण युवाओं और जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. वे मानती हैं कि पढ़ाई सिर्फ डिग्री पाने के लिए नहीं, बल्कि समाज को बेहतर ढंग से समझने और सेवा करने का सबसे सशक्त माध्यम है. उनका कहना है कि, ''मैंने हमेशा से महसूस किया कि एक पढ़ा-लिखा जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के लिए बेहतर ढंग से योजनाएं बना सकता है और प्रशासन से प्रभावशाली संवाद कर सकता है.'' BSW की पढ़ाई पूरी करने के बाद विधायक तनवे सामाजिक कार्य के क्षेत्र में अपने ज्ञान का उपयोग करना चाहती हैं. उनका मानना है कि शिक्षा और सेवा का जब संगम होता है, तो समाज में वास्तविक परिवर्तन आता है.
राजनीति के साथ पढ़ाई की संतुलन साधना
जहां एक ओर क्षेत्र की समस्याएं, विधानसभा सत्र, जन सुनवाई जैसे अनगिनत दायित्व उनके कंधों पर हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपनी पढ़ाई को लेकर भी उतनी ही गंभीर हैं. परीक्षा केंद्र में आम विद्यार्थियों की तरह समय पर पहुंचना, उत्तर पुस्तिका भरना और विषय में पूरी जानकारी देना उनके समर्पण का प्रमाण है. उनकी यह कोशिश यह दिखाती है कि पढ़ाई सिर्फ विद्यार्थियों की ही जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की हो सकती है जो खुद को निखारना चाहता है.
राजनैतिक सफलताओं के बीच थामा शिक्षा का हाथ
विधायक कंचन तनवे का जन्म 14 जून 1982 को धनोरा में हुआ था. 1997 में दसवीं कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. 2002 में मुकेश तनवे के साथ उनका विवाह हुआ. पति मुकेश तनवे ने 2005 में 11वीं कक्षा में उनका नामांकन करवाया. 2009 में विधायक कंचन तनवे ने 12 वीं की परीक्षा पास कर ली. गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी करने लगी थीं. इसके बाद पढ़ाई छूट गई थी. 2023 में खंडवा विधानसभा से विधायक चुनी गईं. करीब डेढ़ साल बाद फिर से शिक्षा का हाथ थामा.